घटा घिर घाट पर आयी तो समझो छठ आयी है- हरिनाथ शुक्ल हरि
घटा घिर घाट पर आयी तो समझो छठ आयी है- हरिनाथ शुक्ल हरि

गौड़ की आवाज राज बहादुर राना सुलतानपुर:नार्दर्न रेलवे मेंस यूनियन, रेलवे स्टेशन सुल्तानपुर के सभागार में दिनांक 7 नवंबर 24 को अवधी साहित्य संस्थान अमेठी एवं उदगार मंच सुल्तानपुर के संयुक्त तत्वावधान में, भारतीय नार्वेजियन सांस्कृतिक फोरम के अध्यक्ष, ख्याति लब्ध प्रवासी साहित्यकार डॉ सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक के मुख्य आतिथ्य एवं अवधी साहित्य संस्थान के संस्थापक डॉ अर्जुन पांडेय की अध्यक्षता में सुल्तानपुर अमेठी प्रतापगढ़ के कलमकारों का ऐतिहासिक समागम एवं सम्मान समारोह उदगार मंच के संस्थापक नरेंद्र शुक्ल के संयोजन, डॉ पूनम मिश्रा के आयोजन व हरिनाथ शुक्ल हरि के कुशल संचालन में संपन्न हुआ। मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं वाणी वंदना के पश्चात काव्य प्रस्तुति हुई।कवयित्री प्रतिभा पांडेय ने ‘विविध विधाओं का उद्गम है हिंदी हिंदुस्तान की’ सुनाकर सबको मंत्र मुग्ध किया तो अमेठी के कवि रामेश्वर सिंह की अवधी कविता ‘आवे गौरैया नाहीं हमरे दुआर हो’ ने सबके मन को छुआ। नरेंद्र शुक्ल ने मुक्तकों ‘जो न सबसे कह सके वह दर्द सबके पास है, द्वारा समां बांधा। ख़ाक सुल्तानपुरी जी के शेरों की बानगी देखें, ‘फूल क्या छू लिया भूल हो ही गयी।संचालक हरिनाथ शुक्ल हरि ने “घटा घिर घाट आयी हो तो समझो छठ आयी है” से छठ पूजा का चित्रण किया । अमेठी के ग़ज़लकार सुरेश नवीन ने -घिरे जब मुश्किलों में भी निकलना हमने सीखा है, पढ़ कर वाहवाही बटोरी। राज कपूर के अश़आर ‘हर शख्स की आंखों में श़रर देख रहे हैं, पर खूब तालियां बजीं। अन्य साहित्यकारों में सुल्तानपुर से नारायण लाल श्रीवास्तव श्रीश,डॉ धवल मिश्रा, अमेठी से पधारे,राम बदन शुक्ल पथिक,जगदंबा तिवारी मधुर,राम कुमारी साहू, प्रतापगढ़ से श्रीनाथ मौर्य,कुंज बिहारी मौर्य काका, डॉ अभिमन्यु पांडेय व शोध छात्र अजय विक्रम सिंह आदि की प्रस्तुतियां सराहनीय रहीं।मुख्य अतिथि डॉ. शरद आलोक ने स्व.मजरुह सुल्तानपुरी से अपने ताल्लुक़ात का जिक्र करते हुए अपने रचना संसार का परिचय भी दिया। अंत में, डॉ अर्जुन पांडेय ने सभी अतिथियों को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा व शाल भेंट करते हुए, उत्कृष्ट अध्यक्षीय उद्बोधन में ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता एवं इस दिशा में उनके प्रयासों की चर्चा के पश्चात सबका आभार ज्ञापित किया।