
गौड़ की आवाज, ब्यूरो प्रमुख कैमूर, बिहार।वैसे तो पुलिस के बारे में शुरू से ही लोगों की धारणा खराब रही है वह भी तब जब बिहार में सुशासन की सरकार हो। चाहे स्लोगन में जन विश्वास संकल्प के तहत आपकी सेवा में सदैव तत्पर हीं क्यों ना हो। पक्षपात करने, प्राथमिकी दर्ज न करने और शिकायतकर्ता को परेशान करने में भी कैमूर पुलिस पीछे नहीं है। ईमेल से की गई शिकायत का निवारण भले ही ना हो, आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना भले ही 30 दिन में ना दी गई हो लेकिन नोटिस पर एक दिन में हाजिर होने के लिए पाबंद कर रही है कैमूर पुलिस।मदिरा पान के आरोप में मिली जानकारी और गिरफ्तारी दोनों डाटा होने पर स्पष्ट पता चलेगा कि प्रशासन को कितनी जानकारी मिली और गिरफ्तारी कितनी हुई वैसे ही देसी शराब बनाने और विदेशी शराब बेचने संबंधी शिकायत पर गिरफ्तारी के साथ इस संबंधी पेंडिंग शिकायत की जानकारी भी होनी जरूरी है। वाहन जांच में जुर्माना से प्राप्त राशि के साथ जांच के क्रम में बिना जुर्माना के छोड़े गए वाहनों की संख्या व ऑपरेशन मुस्कान के तहत खोए हुए मोबाइल फोन को वास्तविक धारक को देने की संख्या के साथ लंबे समय से पेंडिंग खोए हुए मोबाइल फोन के आवेदनों की संख्या हो तो यह पता चले कि प्रशासन कितनी मुस्तैद है। नॉन वेलेबल वारंटी को पकड़ने पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर या सोशल मीडिया पर जानकारी देने के साथ ही आम लोगों के लिए जानकारी शामिल हो कि विगत एक वर्षों में न्यायालय से निर्गत एनबीडब्ल्यू वारंट पर प्रशासन कितनों को पकड़ने में भी विफल है। प्रशासन की लापरवाही के चलते न्यायालय में कितने मामले लंबित हैं इसकी जानकारी भी पारदर्शी तरीके से सोशल मीडिया अकाउंट पर होनी जरूरी है। अगर तस्वीर की बात की जाए तो पटना के रेलवे पुलिस अधीक्षक द्वारा पुलिस निरीक्षक को सम्मानित किया जा रहा है जहां मोहनियां थाना क्षेत्र अंतर्गत हुए साढे पांच लाख के लूट के उदभेदन मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रशस्ति पत्र से सम्मानित करने की तस्वीर फेसबुक व सोशल मीडिया में है। सिर्फ यह तस्वीर डालना और इसी विषय को हाईलाइट करना हीं जरूरी नहीं विगत एक वर्षों से उस थाने में लूट की दर्ज सभी प्राथमिकी व पेंडिंग पड़े केस के अनुसंधानकर्ता को निंदन पत्र देना और उसे सार्वजनिक करना भी खबर है। चाहे मामला कुदरा थाना क्षेत्र में अपहरण के उजागर करने का हो चाहे चोरी, डकैती, रेप, मारपीट या हत्या की प्राथमिकी दर्ज हो ओवरऑल केस क्लीयरेंस रिपोर्ट यानी साल में दर्ज केस और अनुसंधान पूर्ण कर उद्भेदन की रिपोर्ट भी हो तो कार्यशैली झलकती है नहीं तो अंधों में काना राजा वाली कहावत हीं चरितार्थ होगी।