
शक्ति रूपेण संस्थिता
गौड़ की आवाज क्राइम ब्यूरो मंडल तारकेश्वर गुप्ता
हदहदवा भवानी मंदिर प्रतापपुर जनपद मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर बिहार बार्डर से सटे प्रतापपुर चीनी मिल के पास में हदहदवा भवानी का मंदिर है। यहाँ ट्रेन के अलावा निजी साधन से जा सकते हैं।यह मंदिर लोगों के आस्था का केंद्र है सच्चे मन से यहां जो भी मांगा जाता है उसे मां पूरा करती हैं नवरात्र में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हैं और मां का दर्शन व पूजन अर्चन करते हैं।
मंदिर का इतिहास
मान्यता है कि जिस जगह पे यह प्राचीन मंदिर है वहाँ के अगल बगल बहुत घना वन था।जिसमे एक देवी की पूजा होती थी।उस जमाने मे इन्हें बन देवी के नाम से जाना जाता था ।बताया जाता है कि वर्ष 1903 में अंग्रेजों के समय में यहाँ चीनी मिल का स्थापना हुआ।सब तैयारी के बाद गन्ना पेराई के लिए डोंगा में डाला गया तो रस नही निकल रहा था । जिसे लेकर कई दिनों तक मिल प्रबंधन परेशान रहा । मिल में कार्यरत कर्मचारियों ने जब माता के महिमा का बखान मिल प्रबंधन से किया तो उसके बाद मिल प्रबंधन द्वारा माता रानी के स्थान को साफ सफाई करा कर उनका विधिवत पूजन बैदिक मंत्रो के साथ हुआ । जिसके बाद गन्ने से रस निकलने लगा और रस के लिए लगे टंकी में हद- हद करके गिरने लगा जिसके बाद बन देवी का नाम हदहदवा भवानी पड़ गया तभी से सब लोग हदहदवा भवानी के नाम से जानने लगे । फैक्ट्री चालू करने से पहले देवी की पूजा धूम-धाम के किया जाता है पूजा में थोड़ी सी त्रुटि होने पे मिल प्रबंधन को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है ।नवरात्र में लगता है भक्तों का भीड़
माता के दरबार मे हर सोमवार व शुक्रवार को भक्तों का लाइन तो लगा ही रहता है लेकिन नवरात्र में यूपी के देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर तो बिहार के सिवान व गोपालगंज,मीरगंज के भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है माँ सभी की मुरादे पूरी करती है । यूपी बिहार के लोग यहाँ मांगलिक कार्य भी करते माँ से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है।माँ के दरबार से आजतक कोई निराश होकर नही लौटा है लोगों की मन्नत पूरी होते ही लोग यहाँ भजन कीर्तन करते है नारियल चुनरी चढ़ाकर लोग माता से आशीर्वाद लेते है ।राम अशीष मिश्र ,पुजारी मंदिर में सोमवार व शुक्रवार के अलावा नवरात्रि के पावन पर्ब पर हर साल हम सभी श्रद्धालु पहुँचते है । और माता में दरबार मे शीश झुकाते हुए आशीर्वाद प्राप्त करते है।माँ के दरबार से कोई भूखा नही लौटा है।सुमन मिश्रा , श्रद्धालु