
उत्तर से दक्षिण व पूर्व से पश्चिम तक,
देशवासियों में सभी मेल चाहता है देश |
हो गद्दार चाहे जहां चाहे जिस हाल में भी,
उसको तुरंत मिले जेल चाहता है देश ।
स्वच्छ राजनीति और पारदर्शी नीति भी हो,
सियासत में कोई न खेल चाहता है देश |
“नंदवंशी “जोड़ने की सबको जो बात करें,
एक बार फिर से पटेल चाहता है देश |
खंड – खंड भारत की बिखरी रियासतों को ,
जोड़ -जोड़ अखंड कर गए पटेल जी |
कभी सरदार कभी लौह-पुरुष उपाधि ,
कभी विस्मार्क रूप धर गए पटेल जी |
भारत का मानचित्र रंगहीन हो रहा था ,
कई रंग उसमे भर गये पटेल जी |
“नंदवंशी” गांधी की विचारधारा संग चले ,
देशहेतु अहिंसा से टर गए पटेलजी |
*रचनाकार -रमेश चन्द्र नन्दवंशी*