उत्तर प्रदेश

फरीदाबाद के परवतिया कालोनी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा

गौंड कि आवाज संवाददाता

फरीदाबाद के परवतिया कालोनी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा

गौंड कि आवाज संवाददाता

जयसिंहपुर सुल्तानपुर जिले के क्षेत्र में मोतिगरपुर सुल्तानपुर ।फरीदाबाद के परवतिया कालोनी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन, आचार्य नरेंद्र वेदव्यास जी ने अपने प्रवचनों में भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान और जीवन मूल्य प्रदान किए। उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की कला सिखाती है। आचार्य जी ने कहा कि इस कथा के माध्यम से हम अपने जीवन में प्रेम, करुणा, और सत्य के मार्ग पर चल सकते हैं।उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान समय में हमें अपने भीतर की आध्यात्मिकता को जागृत करने की आवश्यकता है। आचार्य नरेंद्र वेदव्यास जी ने कहा कि भौतिक सुख-सुविधाओं के पीछे भागने के बजाय, हमें आत्मिक शांति और संतोष की ओर अग्रसर होना चाहिए। उन्होंने भक्तों को प्रेरित किया कि वे अपने जीवन में नैतिक मूल्यों का पालन करें और समाज में प्रेम और सद्भावना का प्रसार करें।
इस अवसर पर, उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से संबंधित अनेक कथाओं का वर्णन किया, जो जीवन में धैर्य, समर्पण, और निष्ठा के महत्व को दर्शाती हैं। आचार्य जी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने हमें सिखाया है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और समर्पण के साथ जीवन जीया जा सकता है।कथा के दौरान, भक्तों ने भक्ति संगीत और कीर्तन का आनंद लिया, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया। भक्तों ने आचार्य जी के प्रवचनों से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का संकल्प लिया। कथा के इस सातवें दिन, भक्तों की उपस्थिति ने यह सिद्ध किया कि आध्यात्मिकता के प्रति लोगों की रुचि और आस्था निरंतर बढ़ रही है।फरीदाबाद में आयोजित इस श्रीमद्भागवत कथा ने समाज में एक सकारात्मक संदेश का प्रसार किया है, जो सभी के लिए प्रेरणादायक है। आचार्य नरेंद्र वेदव्यास जी के मार्गदर्शन में, यह कथा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों के पुनर्स्थापन में भी सहायक सिद्ध हो रही है।
इस प्रकार की कथाएँ समाज में एकता, प्रेम, और सद्भावना को बढ़ावा देती हैं, जो वर्तमान समय की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। भक्तों ने इस कथा के माध्यम से आध्यात्मिक शांति और आत्मिक संतोष की अनुभूति की, जो उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक होगी।इस अवसर पर, जजमान राज बहादुर वर्मा , सरोज देवी, संगम वर्मा , धीरज वर्मा, नीलम, सहित सैकड़ों लोगो ने कथा का रसपान किया।

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