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राजकीय मेडिकल कॉलेज में सिस्टम फेल: वार्डो में पंखे-रेगुलेटर खराब, वार्ड बॉय ग़ायब, तीमारदार ढो रहे डेड बॉडी, स्टॉफ नर्स मोबाइल में व्यस्त

राजकीय मेडिकल कॉलेज में सिस्टम फेल: वार्डो में पंखे-रेगुलेटर खराब, वार्ड बॉय ग़ायब, तीमारदार ढो रहे डेड बॉडी, स्टॉफ नर्स मोबाइल में व्यस्त

गौड़ की आवाज ब्यूरो सुल्तानपुर जिले के क्षेत्र में झांसी मेडिकल कॉलेज में लापरवाही के चलते दस मासूम बच्चों की मौत हो गई। जिसने शासन को हिलाकर रख दिया। ऐसे सुल्तानपुर राजकीय मेडिकल कॉलेज में कदम-कदम पर लापरवाहियां बरती जा रही हैं। डेढ़ वर्ष पूर्व अस्पताल का नाम बदल गया है, जिला अस्पताल से राजकीय मेडिकल कॉलेज हुआ अस्पताल में संसाधनों का आभाव है। स्टॉफ मस्त है, और जिम्मेदार प्रिंसिपल को इस ओर देखने की फुरसत नहीं है।राजकीय मेडिकल कॉलेज के कुछ वीडियो फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं, जिसने यहां के जिम्मेदार प्रिंसिपल के सिस्टम की पोल खोल दिया है। अस्पताल परिसर की सड़के जर्जर हैं। मरीजों के वार्ड में अधिकतर उपकरण खराब हैं। प्राइवेट वार्ड में एग्जास्ट पंखा नहीं लगा, जिससे ताजी हवा का आवागमन बंद है। मरीजों को परेशान होना पड़ रहा। छत पर लगे अधिकांश पंखे खराब हैं और रेगुलेटर कागज़ पर दुरुस्त हैं। वायरिंग भी अधिकतर स्थानों पर खराब है।यही नहीं राजकीय मेडिकल कॉलेज की सबसे रोचक बात यह है कि यहां वार्ड बॉय गायब हैं। परेशान तीमारदार को मरीजों को स्ट्रेचर से वार्ड में लेकर जाना पड़ रहा है। इसी तरीके से तीमारदार कई स्टेचर पर मरीज ढोते हुए नजर आए और स्टॉफ गायब रहा। यहां तक की मधुमेह से पीड़ित एक मरीज की मौत होने पर लंबे समय तक उसकी डेड बॉडी परिसर के द्वितीय तल पर स्थित स्थित प्राइवेट वार्ड में बेड पर पड़ी रही। उसे तीमारदारों ने ही उठाकर स्ट्रेचर पर रखा, ऊपर ढलान से लाते हुए मोर्चरी तक ले गए। यही हाल नर्सों का भी है।ज्यादातर सिस्टर्स मोबाइल में ही व्यस्त रहती हैं।बस सबसे अधिक खतरा यहां पर प्रिंसिपल को जो लगा वो सुरक्षा का लगा। जो उन्होंने दर्जन भर गार्ड तैनात कर दिए। उन गार्डो से अक्सर तीमारदारों से नोक झोंक और बहस देखने को मिल ही जाती है। इमरजेंसी की भी हालत ये है कि यहां बेड कम है, स्ट्रेचर पर मरीजों का इलाज होता है। कुछेक एक डॉक्टर और उनके दलाल यहां सक्रिय हैं। बाकयदा रात के समय डॉक्टर के संरक्षण में इमरजेंसी से मरीज प्राइवेट हॉस्पिटल में शिफ्ट कराए जा रहे हैं।

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