मुखिया की मनमानी से वार्ड सदस्यों में आक्रोश
मुखिया की मनमानी से वार्ड सदस्यों में आक्रोश

गौड़ की आवाज, ब्यूरो प्रमुख कैमूर, बिहार।सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को जन-जन तक सुगमता से पहुंचाने के लिए जनप्रतिनिधि को हमेशा तत्पर रहना चाहिए तो उसके विपरीत जिले के कुदरा प्रखंड के मुखिया पर आम जन को सरकारी योजना का लाभ लेने में अड़चन डालने का आरोप वार्ड सदस्यों द्वारा लगाया जा रहा है।बात दरअसल लोहिया स्वच्छता बिहार अभियान अंतर्गत व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय के निर्माण एवं नियमित उपयोग के बाद मिलने वाली प्रोत्साहन राशि की है। बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच से मुक्ति लाने के लिए लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान की शुरुआत हुई।
इस अभियान के तहत शौचालय का नियमित उपयोग करने, स्वच्छता के प्रति सजग रहने, स्वच्छता के लिए समय देने, हर सप्ताह में 2 घंटे श्रमदान करने, अन्य 100 व्यक्ति से स्वच्छता का संकल्प करवाने का संकल्प के साथ शौचालय बनाने और उसके उपयोग करने पर किसान, मजदूर तथा ऐसे गरीब परिवार को प्रोत्साहन राशि के रूप में मिलने वाली 12000 राशि के लिए आवेदन भरकर वार्ड सदस्य के हस्ताक्षर के साथ प्रखंड समन्वयक को जमा करने करने पर प्रखंड कार्यालय द्वारा उसे जांच कर ऑनलाइन आधार बेस माध्यम से पेमेंट करने का प्रावधान है। जिसमें शुरू से ही ग्रामीण जनता आम लोगों द्वारा आवेदक को विहित प्रपत्र में भरकर संबंधित अनुलग्नक को संलग्न कर वार्ड सदस्य के माध्यम से दिया जाता रहा है। पर बात दरअसल कुदरा प्रखंड के 14 पंचायतों के मुखिया द्वारा 143 वार्ड सदस्यों के अधिकारों में इंटरफेयर करने की है।वार्ड सदस्यों द्वारा लगाए आरोप के अनुसार वर्तमान में कार्यालय में बिना मुखिया द्वारा अग्रसारित किये आवेदन नहीं लिया जा रहा है।जबकि आवेदन प्रारूप में वार्ड सदस्य और प्रखंड समन्वयक के नाम व हस्ताक्षर का जिक्र है। वार्ड सदस्यों का आरोप है कि लोगों को परेशान करने के लिए जानबूझकर अब आवेदन को मुखिया के माध्यम से देने की बात की जा रही है।इस संबंध में प्रखंड समन्वयक रविंद्र कुमार ने बताया कि पहले आवेदन वार्ड सदस्य से लिया जाता था। वर्तमान में मुखिया के माध्यम से या उनके द्वारा अग्रसारित आवेदन लिया जाता है।वही इस विषय पर प्रखंड विकास पदाधिकारी धर्मेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आवेदक द्वारा आवेदन वार्ड सदस्य/ मुखिया के माध्यम से हस्ताक्षर कराकर प्रखंड समन्वयक कार्यालय में जमा किया जा सकता है। अगर किसी कारण कोई आवेदन पर जनप्रतिनिधि का हस्ताक्षर न भी रहे तो भी कार्यालय में आवेदन मिलने पर आवेदन की जांच कर अग्रेत्तर कार्रवाई की जाएगी।