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निज कर्म निर्वहन और प्रकृति संरक्षण से खुश होते भगवान -श्री धराचार्य

निज कर्म निर्वहन और प्रकृति संरक्षण से खुश होते भगवान -श्री धराचार्य

गौड़ की आवाज राज बहादुर राना जयसिंहपुर: सुलतानपुर: दुरात्माओं के नाश करने से पहले जगत नियंता संभलने और सत्यमार्ग अपनाने हेतु पूर्व सूचना अवश्य देता है परंतु अहंकारी आत्मा लोभ,मोह,स्वार्थ महत्वाकांक्षा में फंसकर परमात्मा के संदेश को समझ ही नहीं पाता जिसके कारण वह नरक का भागी बनकर मृत्यु को प्राप्त होता है। जनपद के तहसील जयसिंहपुर क्षेत्र के गांव इसूर में चल रही श्रीमद्भागवत कथामृत पान कराते हुए आज पांचवें दिन अयोध्या से पधारे भागवताचार्य श्री धराचार्य जी महराज ने यह भावोद्गार किया।ज्ञान यज्ञ के संदर्भ में चल रही भगवान की पावन कथा में मुख्य यजमान केशव प्रसाद दूबे और उनकी धर्मपत्नी शान्ती देवी सपरिवार ने कथा व्यास की आरती एवं व्यास गद्दी का पूजन किया।दूर दराज से पधारे श्रोतागण कथारस पान कर मंत्रमुग्ध और रस विभोर हो गए।व्यास ने गोवर्धन पूजा के माध्यम से इंद्र मान मर्दन का आख्यान देते हुए बताया कि भगवान हमेशा निज कर्म का यथाविधि निर्वहन और प्रकृति संरक्षण से खुश रहते हैं एवं देवता भी तद्नुसार उचित फलदायी बन जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पूजा करवाने पर इंद्र कोप कर इतना जलवृष्टि कर दिया कि यदुनंदन को गोवर्धन को उंगली पर उठाकर पूरे गोकुल की रक्षा करना पड़ा तो इंद्र ने भी क्षमा मांगकर भगवान की स्तुति की। कथा व्यास ने रास लीला, श्री कृष्ण द्वारा बलराम के साथ धनुष भंग, और कंस बध की मार्मिक कथा बड़े भाव से सुनाया। प्रासंगिक भजनों पर भाव विह्वल हो भावविभोर हो महिलाएं थिरकती नजर आईं।मनोज कुमार दूबे,हरिकेश दूबे, शिवप्रसाद दूबे,हनुमान दूबे, बजरंगी दूबे,भास्कर दूबे, ब्रम्हानंद दूबे,महेश नारायन,राम अछैबर दूबे,अजय कुमार दूबे, अश्वनी कुमार दूबे,अनिल कुमार कुमार दूबे,चन्द्रपाल सिंह,बिन्द्रा तिवारी, राजेश तिवारी, राजाराम दूबे सहित क्षेत्र से आये श्रद्धालुजन कथा सुनकर भक्ति भाव में डूब गये।मुख्य यजमान के द्वारा आरती और प्रसाद वितरण किया गया।

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