नदियों के प्रति जन जागरूता फैलाने के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन, विजेताओं को किया गया सम्मानित

सुल्तानपुर गौड़ की आवाज ब्यूरो जिला के नमामि गंगे” योजना के अंतर्गत जनपद सुल्तानपुर में नदियों के प्रति जन-जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से विद्यालयों में विविध प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इस पहल के माध्यम से छात्र-छात्राओं को नदियों के संरक्षण, स्वच्छता एवं उनके सामाजिक-पर्यावरणीय महत्व से अवगत कराया गया।,राजकीय इंटर कॉलेज, सुल्तानपुर में क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया:,प्रथम स्थान: श्रेयश तिवारी,द्वितीय स्थान: अंश उपाध्याय,तृतीय स्थान: विनायक,भुवनेश्वरी प्रताप इंटर कॉलेज में निबंध प्रतियोगिता संपन्न हुई,प्रथम स्थान प्राची शर्मा,द्वितीय स्थान: आयुषी यादव,तृतीय स्थान: साक्षी,केशकुमारी राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन हुआ,प्रथम स्थान: कविता निषाद,द्वितीय स्थान: नेहा गौतम ,तृतीय स्थान: वर्तिका जी. डी. गोयंका विद्यालय में प्रोजेक्ट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने नदी संरक्षण पर आधारित विभिन्न नवाचार प्रस्तुत किए।विजेताओं में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों का चयन किया गया।प्रतियोगिताओं में विजयी छात्र-छात्राओं को जी. डी. गोयंका विद्यालय में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम के दौरान सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम अभिनन्दन प्रताप सिंह , जिला परियोजना अधिकारी, जिला गंगा समिति, सुल्तानपुर के तत्वावधान में आयोजित किया गया।मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती अपर्णा यादव, उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने समारोह में प्रतिभाग किया। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए “नमामि गंगे योजना” के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह अभियान केवल एक सरकारी योजना नहीं है, बल्कि एक जन आंदोलन है जिसे प्रत्येक नागरिक को अपनाना चाहिए।इस अवसर पर श्रीमती यादव द्वारा विद्यालय परिसर में सिन्दूर के पौधे का रोपण भी किया गया, जिससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया।प्रभागीय निदेशक, सामाजिक वानिकी वन प्रभाग, सुल्तानपुर उप प्रभागीय वनाधिकारी,जिला विद्यालय निरीक्षक,जिला प्रोबेशन अधिकारी, अन्य विद्यालय,प्रधानाचार्य,शिक्षकगण,छात्र-छात्राएं, एवं अन्य गणमान्य अधिकारी / कर्मचारी उपस्थित रहे।इस अभियान का मुख्य उद्देश्य नदियों के प्रति विद्यार्थियों एवं आमजन में जिम्मेदारी की भावना पैदा करना था। बच्चों के माध्यम से जनमानस को यह संदेश दिया गया कि यदि हम नदियों को स्वच्छ और संरक्षित रखेंगे, तो हमारा पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।