1973 से खुदौली का रामलीला का मंचन, धर्म और आस्था का अनोखा मिसाल

प्रख्यात ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अवनीश सिंह विक्रम 'गुरु' के पिता उठा रहे है जिम्मेदारी

जौनपुर गौड़ की आवाज संवाददाता अंकित कुमार शाहगंज जौनपुर खेतासराय क्षेत्र के खुदौली गांव की रामलीला धर्म और आस्था की अनोखा मिशाल है । लगभग 1973 से पहले यहाँ रामलीला का मंचन होता चला आ रहा है । प्रख्यात ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अवनीश सिंह विक्रम ‘गुरु’ के पैतृक गांव में उनके पिता शैलेंद्र सिंह रामलीला मंचन संरक्षक के तौर पर जिम्मेदारी निभा रहे है ।29 सितंबर से रामलीला का मंचन का शुभकामनाएं प्रस्तावित है । इस कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए देश प्रदेश के हर कोने से लोग अपनी उपस्थिति दर्ज कराते है ।52 वर्ष से उक्त मंच के संरक्षक की जिम्मेदारी निभा रहे
शैलेंद्र सिंह ने को बताया कि समय के साथ रामलीला में भी बदलाव आया है, जिसका प्रमुख कारण टीवी सीरियल और सिनेमा है, जिससे युवाओं में धर्म के प्रति कुछ उदासीनता देखी जा सकती है । लेकिन रामलीला का मंचन जीवंत आस्था में सरोबार कर देता है ।
गांव की ऐतिहासिक रामलीला का मंचन एक बड़ा आयोजन है, जिसमें गांव के सभी जाति के लोग हर्षोल्लास के साथ सहभागिता करते है ।
गांव के लोगों में कार्यक्रम को लेकर भारी उत्साह देखा जा रहा है।मेले में बच्चों के अलावा दुकानदारों को भी दिया जाता है तोहफ़ा शाहगंज (जौनपुर)खुदौली में रावण दहन के बाद आयोजित मेले में सांप्रदायिक सौहार्द देखने को मिलता है । इस मेले में खास बात यह है कि गाँव के अलावा पूरे क्षेत्र के लोग इस मेले भाग लेते है । जैसे ही प्रसिद्ध ज्योतिषचार्य डॉक्टरअवनीश सिंह ‘गुरु’ मेले में पहुँचते है । यहां लगाने वाले दुकानदार जेलबी, फ़ल, नाश्ता और खेल के समान फ़्री कर देते है । मेले में पहुँचने वाले बच्चें समेत सभी की चेहरे खुशियां देखने लायक होती है । अंत मे दुकानदारों को भी मिठाई और तोहफ़े दिए जाते है ।

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